विश्वविद्यालय चहुमुंखी विकास के पथ पर द्रुत गति से अग्रसर है। कुलपति जी के अथक प्रयासों से अब तक विश्वविद्यालय कई कीर्तिमान ऊंचाइयों को समेटते हुए
ना केवल प्रदेश बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी भूमिका और अपने लक्ष्यों से अपने दिशा और संकल्पों को पाने की ओर सतत प्रगतिशील है।विनिर्माण से लेकर अध्यापन और
शोधक्षेत्र में भी विश्वविद्यालय ने विगत एक वर्ष में सारगर्भित विषयों में कुशलता पूर्वक सफलताएं हासिल की है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों द्वारा नए आयाम तय
किये गए,कोरोनाकाल में भी यहाँ के शोधपत्र और कुशल प्रबंधन समाचार पत्रों की सुर्खियां बने रहे।
Prof. Shiv Kumar Dwivedi
Vice Chancellor
विगत वर्षों में विश्वविद्यालय के विकास में किये गये कुछ महत्वपूर्ण कार्य एवं उपलब्धियां
विश्वविद्यालय ने साल भर के अंदर ही देश के कई प्रमुख संस्थाओं के साथ एमओयू किये- जैसे कि
1.सी0डी0आर0आई0
2.नाइपर रायबरेली
3.आई.आई.टी. बी.एच.यू.
4.डिक्की और
5.एस-व्यासा
विवि का यूआईईटी जो अब तक सेल्फ फाइनेंस कोर्स था अब वो एक रेगुलर कोर्स बन गया है जिसके लिए 16 पदों पर स्वीकृति भी विवि को प्राप्त हो चुकी है।
विश्वविद्यालय के संगणक केन्द्र द्वारा नयी डाइनमिक वेबसाइट की डिजाइन व उदघाटन विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर 10 जनवरी 2020 को कुलपति महोदय द्वारा किया गया।
कुलपति महोदय के प्रयासो से विश्वविद्यालय के ICT इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा कैम्पस नेटवर्क एवं वाई-फाई सेवाओं का विस्तार तीव्र गति से किया जा रहा है साथ ही यह सुविधा विश्वविद्यालय के अमेठी केन्द्र में भी प्रारम्भ हो रही है जिसे विश्वविद्यालय की संगणक केन्द्र के निर्देशन में किया जा रहा है।
विवि में इनोवेशन, इन्क्यूबेशन और स्टार्टअप से संबंधित सेल की स्थापना हुई है।
नए छात्रावासों के निर्माण और विवि की आधारभूत सुविधाओं को बेहतर करने का रोडमैप भी तैयार किया गया है।
विवि का आउटरीच बढ़ाने के लिए देश भर में 115 प्रवेश परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं।
विवि में प्रोफेसर, अस्सिस्टेंट प्रोफ़ेसर और एसोसिएट प्रोफ़ेसर की खाली पदों पर भर्तियों के लिए यूजीसी के स्वीकृति ।
विवि में कई शैक्षणिक सुधार भी किये गये हैं जिनमें प्रमुख रूप से 2019 में सी.बी.सी.एस. सिस्टम को पूर्णरूप से लागू किया गया। इसके तहत विद्यार्थियों को अपने मूल पाठ्यक्रम के अतिरिक्त किसी भी अन्य विषय को चयन करने का अवसर मिलता है। इसके अतिरिक्त वर्ष में दो बार पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराने का भी निर्णय हुआ है।
विद्यार्थियों की सुविधा के लिए नैड को क्रियान्वित हुआ। नैड की बदौलत विवि के विद्यार्थी अब देश के किसी भी कोने से जब चाहें अपने शैक्षिक दस्तावेज डाऊनलोड कर सकते हैं।
विवि में अनुशासन बनाए रखने के लिए नई गाइडलाइन्स भी जारी की गई हैं जिसका प्रभाव इस शैक्षिक सत्र में दिखाई पड़ा है।
विश्वविद्यालय में योग केंद्र की स्थापना, योग का सर्टिफिकेट कोर्स, संस्कृत विषय की पढ़ाई के लिए नया कोर्स, वर्ष में दो बार पीएचडी प्रवेश परीक्षा, मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग सेंटर, रेसिडेंशियल कोचिंग का पुनः कियान्वयन।
विवि का मीडिया सेंटर भी क्रियान्वित हुआ है जो मूक्स बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। मीडिया सेंटर को ह्यूमन राइट्स, इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस के लगभग 800 मोड्यूल अनुवाद के लिए दिए गए हैं। अंग्रेजी में बने ये मॉड्यूल हिंदी में अनुवादित किए जाने के बाद एमएचआरडी के स्वयं-प्रभा डीटीएच चैनलों व सीईसी के यूट्यूब चैनलों पर प्रसारित किए जाएंगे।
विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय स्तर और संकाय स्तर पर 'स्टूडेंट्स ओरिएंटेशन प्रोग्राम' आयोजित हुआ जिसमें न सिर्फ नए विद्यार्थी बल्कि उनके अभिभावक भी शामिल हुए।
विश्वविद्यालय में हर बुद्धवार को 'नो मोटर वेहिकल डे' ।
1 साल के अंदर हजारों की संख्या में वृक्षारोपण किया गया और आमजन को मुफ्त में वृक्ष भी वितरित किए गए। इसके साथ ही पहली बार विश्वविद्यालय में बाहर से स्कूली बच्चों को वृक्षारोपण के लिए बुलाया गया। विवि में पौध विक्रय केंद्र खोल आमजन को पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ ही उच्च गुणवत्ता के बीज और पौधे उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है।
नए शोधों का पेटेंट कराने के लिए पेटेंट सेल भी बनाया गया है। शोध कार्यों को सहयोग देने के लिए रिसर्च सेल की स्थापना।
पहली बार लिंग संवेदीकरण समिति बनी जोकि विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और छात्रावासों में समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित कर विद्यार्थियों को लिंग समानता के प्रति जागरूक करती है।
एलुमनाई फीडबैक, एलुमनाई रिप्रेजेंटेशन, बीपीजीएस जैसी समितियों के निर्माण के साथ अब विवि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए विभिन्न क्लब बनाए जा रहे हैं, 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की टीम भी सक्रिय रुप से कार्य कर रही है ताकि विद्यार्थियों को भारत की विभिन्न संस्कृतियों और कलाओं के बारे में जागरूक कर उनका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया जा सके।
विश्वविद्यालय के भारतीय शैक्षणिक संस्थान की रैंकिंग में काफी सुधार हुआ है। नेचर इंडेक्स में भारतीय शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग के अनुसार वर्ष 2019 में विवि की रैंकिंग 92 से बढ़कर 85वें रैंक पर आ गई है
विश्वविद्यालय की इस वर्ष की एनआईआरएफ रैंकिंग में काफी सुधार हुआ है। वर्ष 2019 में बीबीएयू की रैंकिंग 200 से ऊपर थी ।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 संजय सिंह को भारत सरकार ने मानद कर्नल रैंक और कर्नल कमांडेंट- राष्ट्रीय कैडेट कोर की उपाधि से सम्मानित किया है।
विश्वविद्यालय देश के टॉप 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शामिल हो चुका है। साथ ही प्रदेश के टॉप 3 केंद्रीय विवि में भी बीबीएयू शामिल है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों की वार्षिक रिपोर्ट जारी की गई है इस रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा मंत्रालय के विभिन्न मापदंडों के आधार पर देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय नौवें सर्वश्रेष्ठ विवि के पायदान पर है।
विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय ग्रीन बिल्डिंग मानकों के साथ आईएसओ 14001 प्रमाणित परिसर का गौरव प्राप्त हुआ है। यह ऑडिट एक स्वतंत्र पर्यावरण मूल्यांकन एजेंसी परामर्ष द्वारा किया गया है। यह ग्रीन ऑडिट विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे ग्रीन कैंपस, अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन और ऊर्जा प्रबंधन पर केंद्रित था।
शिक्षकों की उपलब्धियां
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के जनसंचार और पत्रकारिता विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ0 अरविंद कुमार सिंह को अखिल भारतीय साहित्य परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा "साहित्य परिक्रमा सम्मान" से सम्मानित किया गया है।
विश्वविद्यालय के प्रो0 नवीन कुमार अरोड़ा, विभागाध्यक्ष, ऊर्जा और पर्यावरण विभाग, को राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा "फेलो ऑफ इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एनवायर्नमेंटल बोटानिस्ट्स" से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें कृषि, पर्यावरण माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय योगदान और अनुसंधान तथा उच्च शिक्षा में उसके प्रभाव के कारण दिया गया है। उन्होंने प्लांट-माइक्रोब इंटरैक्शन का उपयोग करते हुए खारी मिट्टी के पुनर्ग्रहण पर काम किया है।
विश्वविद्यालय की पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शिल्पी वर्मा को जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता ने अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय अकादमिक नेटवर्किंग एवं कोलैबोरेशन- रूसा 2.0 के तहत विजिटिंग फेलो नियुक्त किया है।
विश्वविद्यालय के मीडिया सेंटर में कार्यरत ग्राफिक आर्टिस्ट श्री क्षितिज साहू को सीईसी प्रतियोगिता-2019 "एड्यू राइट एंड एड्यू टून" में सफलता प्राप्त हुई है। श्री साहू को इस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में उनके ई-लर्निंग पर आधारित कार्टून डिज़ाइन के लिए 'एड्यू टून श्रेणी' में तृतीय स्थान प्राप्त हुआ है। सीईसी (कंसोर्सियम फॉर एजुकेशनल कम्युनिकेशन) द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में देश भर से लोगों ने ई-लर्निंग पर आधारित कार्टून डिज़ाइन सीईसी को भेजा था जिसमें श्री साहू द्वारा बनाया कार्टून चयनित हुआ है।
विश्वविद्यालय की फार्मासूटिकल विभाग की प्रोफ़ेसर शुभिनी सराफ और उनकी टीम, डॉ0 पूनम पाराशर, डॉ0 मोनिका द्विवेदी, डॉ मीना राठौर द्वारा प्रकाशित कैंसर से संबंधित शोध पत्र को अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका, 'फ़्रामेसुटिक्स' द्वारा वर्ष 2019 के 'सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र पुरस्कार' के लिए चुना गया है।
विश्वविद्यालय के फार्मास्युटिकल साइन्स डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुदीप्ता साहा और शोध छात्र अमित के0 केशरी को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडिया द्वारा एक एजेंट के आविष्कार के लिए उन्हें पेटेंट प्राप्त हुआ है।
विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ0 पंकज कुमार अरोरा को 'एल्सेवियर जर्नल- डेटा इन ब्रीफ' का एडिटोरियल बोर्ड मेंबर नियुक्त किया गया है । एल्सेवियर एक वैश्विक सूचना विश्लेषिकी व्यवसाय है जो विभिन्न संस्थानों और पेशेवर लोगों को विज्ञान और मानवहित से जुड़े शोध कार्यों को करने व उसके बेहतर प्रदर्शन में सहयोग प्रदान करता है। डॉ0 पंकज 'फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी' के एसोसिएट एडिटर और साइंटिफिक रिपोर्ट्स, ए जर्नल ऑफ नेचर पब्लिशिंग ग्रुप के भी एडिटोरियल बोर्ड मेंबर हैं।
विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह, डीन, एकेडमिक अफेयर को काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, उत्तर प्रदेश की एडवाइजरी कमिटी फॉर एनवायरमेंटल साइंसेज का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। प्रोफेसर सिंह अब काउंसिल में पर्यावरण से जुड़े सभी प्रोजेक्ट की जांच, उसकी समीक्षा व मूल्यांकन करने के उत्तादायित्व का निर्वहन करेंगे।
विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के शिक्षक डॉ0 वेंकटेश कुमार को उनके शोध कार्य के लिए पेटेंट प्रदान किया गया है। डॉ वेंकटेश ने विवि के जूलॉजी विभाग के पूर्व पीएच.डी. छात्र धीरज कुमार के साथ मिलकर "बायो-फोलियर एक पर्यावरण-अनुकूल सूत्रीकरण, जो शहतूत की विभिन्न किस्मों के विकास और उत्पादकता के लिए लागू होता है", विषय पर शोध किया और उनके इस कार्य पर उन्हें पेटेंट प्राप्त हुआ है।
विश्वविद्यालय के डीन अकादमिक अफेयर्स प्रो0 राणा प्रताप सिंह को आर0 ए0 एस0 एस0 ए0 इंडिया (रॉयल एसोसिएशन फॉर साइंस लेड सोसियो कल्चरल एडवांसमेंट) द्वारा ग्रामीण विकास की दिशा में शिक्षा, अनुसंधान और सामाजिक सुधार में उनके योगदान के लिए महर्षि सम्मान - 2020 से सम्मानित किया गया है।
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